संदेश

हर बच्चे के पास सपनों से भरा तकिया हो, जिस पर हकीकत की चादर ओढ़ के सो सके। ©

एक पीढ़ी

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बच्चों की नानी ने, बचपन की कहानी ने, ज़िंदगी की रवानी ने, दोस्तों के क़िस्सों ने, झूठे और सच्चों ने, किताबों के पन्नों ने, स्कूल के बस्तों ने, बड़े होने की ख़्वाहिशों ने, संघर्ष और आजमाइशों ने, प्यार भरी रातों ने, कसमों और वादों ने, मेरी एक पूरी तस्वीर बनाई है, आज एक पीढ़ी पूरी ज़हन ने दोहराई है। एक शख़्सियत पूरी हो गई, एक कहानी शुरू हो गई।

बचपन के भूत

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बचपन में भूत इमली और जामुन के पेड़ पर रहा करते थे, वो पीपल पर ही क्यों नहीं रहते थे?... क्या वो इमली जामुन के चटोरे थे?

शब्‍दों में लिपटी जहन की बात

 शब्‍दों में लिपटी जहन की बात काश जहन समझ ले शब्‍दों की ग़लतियां तो कभी भी सुधर जाती है्ं तर्क जहन के देते.. शब्‍दों भरे नहीं.. आखिर थी तो ये दिल की बात

मंजिलें पूछती रहती हैं

मंजिलें पूछती रहती हैं, कब तू हासिल-ए-नसीब होगा? यही सवाल उसके जहन में दिन -ओ- रात रहता है,

लबों पर ख़याल ठिठक रहे हैं

मेरे लबों पर ख़याल ठिठक रहे हैं, ख़ुद से किये कुछ सवाल खटक रहे हैं, कलम में दम था, इजहार करने का, काग़ज़ों पर अल्फ़ाज़ बरस रहे हैं।

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