मंजिलें पूछती रहती हैं

मंजिलें पूछती रहती हैं, कब तू हासिल-ए-नसीब होगा?
यही सवाल उसके जहन में दिन -ओ- रात रहता है,

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

लबों पर ख़याल ठिठक रहे हैं