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अक्कड़ बक्‍कड़

थे घुमक्‍कड़ अक्कड़ बक्‍कड़ छुप्पा छुप्पी गली गली… अंटी, छापें, हुक्‍का हुक्‍की उठ्ठक बैठक, सज़ा मिली... चक्‍का चला के नापते दुनिया... आम चुराते, तिली लिली...
हर बच्चे के पास सपनों से भरा तकिया हो, जिस पर हकीकत की चादर ओढ़ के सो सके। ©

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