अब वो फुर्सत नहीं रही

अब वो फुर्सत नहीं रही
बच्चे भी नहीं रह गए हम
पर रंग और उमंग आज भी है जिन्दा
सोचता हूँ वही बच्चा बनकर खेलूं होली
बचपने और शैतानी के रंग से

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