कभी खुशबु सी आती है

 कभी खुशबु सी आती है
तो महक उठतीं हैं यादें
छाजाती है सुनहरी सी
वो एक अक्स उभरता है
ये दिल मशरूफ रहता है उस लम्हे मैं
अभी है वो पास
जैसे कह रहा है कुछ ख़ास
जो कभी कहा था उसने
बस एक एहसास ही है बाकी
जो हर रोज रहता है
है चेहरे पर मेरे ख़ुशी
वही जो तब तुम्हारे चेहरे पर भी थी
है हर वो पल भी इस लम्हे
जो तब जिया था तुम्हारे साथ
क्या करूँ आती है अब अक्सर तुम्हारी याद

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