चुन-चुन प्यार के मोतियों से माला पिरोई थी

चुन-चुन प्यार के मोतियों से माला पिरोई थी .....
विश्वास के धागे से आस संजोई थी ..........
पर धागा टूट गया .........
एक एक मोती बिखर गया ......
मोती ऐसे बिखरे ...
के बटोरे नहीं जाते .....
हाथ मैं रह गया विश्वासघाती धागा है .....
ये मेरे पास है क्यों ...?
मोती जो मेरे अपने थे बिखर गए हैं.....
मुझसे हैं दूर क्यों ....?
ये विडम्बना है या संसार की रीत .....
वे मेरे मोती जिनसे थी प्रीत ....
मेरे पास नहीं हैं ....
जिस पर था विश्वास उससे कोई आस नहीं है .....
आखिर क्यों ...?

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